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हिंदी साहित्याकाश के अमर नक्षत्र अमृतलाल नागर

http://puneetbisaria.wordpress.com/
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आज हिंदी साहित्याकाश के अमर नक्षत्र अमृतलाल नागर की ९७ वीं जयंती है। उनका जन्म १ अगस्त सन १९१६ को आगरा के गोकुलपुरा नामक मोहल्ले में हुआ था। उनके पूर्वज गुजरात से ए थे और कालांतर में लखनऊ में आकर बस गए थे। किस्सागोई में उनका ज़वाब नहीं है, ये बात उनकी कृतियों से स्पष्ट हो जाती है। ‘बूँद और समुद्र’ तथा ‘अमृत और विष’ जैसे वर्तमान जीवन पर लिखित उपन्यासों में ही नहीं, ‘एकदा नैमिषारण्ये’ तथा ‘मानस का हंस’ जैसे पौराणिक-ऐतिहासिक पीठिका पर रचित सांस्कृतिक उपन्यासों में भी उनकी यही खूबी देखी जा सकती है।  उत्पीड़कों का पर्दाफ़ाश करने और उत्पीड़ितों का साथ देने का अपना व्रत उन्होंने बखूबी निभाया है। अतीत को वर्तमान से जोड़ने और प्रेरणा के स्रोत के रूप में प्रस्तुत करने के संकल्प के कारण ही ‘एकदा नैमिषारण्ये’ में पुराणकारों के कथा-सूत्र को भारत की एकात्मकता के लिए किये गये महान सांस्कृतिक प्रयास के रूप में, तथा ‘मानस का हंस’ में तुलसी की जीवन कथा को आसक्तियों और प्रलोभनों के संघातों के कारण डगमगा कर अडिग हो जाने वाली ‘आस्था के संघर्ष की कथा’ एवं उत्पीड़ित लोकजीवन को संजीवनी प्रदान करने वाली ‘भक्तिधारा के प्रवाह की कथा’ के रूप में किस्सागोई को  बड़े ही प्रभावशाली ढंग से अंकित किया है। कहानी, उपन्यास, बाल साहित्य, भेंट वार्ता, रेखाचित्र, संस्मरण, निबन्ध अदि विधाओं में लिखकर उन्होंने  छाप छोड़ी। उन्होंने अनेक मराठी, गुजराती एवं रूसी कृतियों के हिंदी में अनुवाद कर भाषाई सेतुबंधन में भी अहम् भूमिका निभाई। अमृतलाल नागर जी का निधन सन् 23 फ़रवरी, 1990 ई. को हुआ। उनकी रचनाएं निम्नवत हैं —-

कहानी संग्रह

1935 ‘वाटिका’

1938 ‘अवशेष’

1939 ‘नवाबी मसनद’

1941 ‘तुलाराम शास्त्री’

1947 ‘आदमी नहीं, नहीं’

1948 ‘पाँचवाँ दस्ता’

1955 ‘एक दिन हज़ार दास्ताँ’

1956 ‘एटम बम’

1963 ‘पीपल की परी’

1973 ‘कालदंड की चोरी’

1970 ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’

1970 ‘पाँचवाँ दस्ता और सात अन्य कहानियाँ’

उपन्यास

1943 ‘महाकाल’

1947 प्रकाशन

1944 ‘सेठ बाँकेमल’

1956 ‘बूँद और समुद्र’

1959 ‘शतरंज के मोहरे’

1960 ‘सुहाग के नूपुर’

1966 ‘अमृत और विष’

1968 ‘सात घूँघटवाला मुखड़ा’

1971 ‘एकदा नैमिषारण्ये’

1972 ‘मानस का हंस’

बाल साहित्य

1947 ‘नटखट चाची’

1950 ‘निंदिया आजा’

1969 ‘बजरंगी नौरंगी’

1969 ‘बजरंगी पहलवान’

1970 ‘इतिहास झरोखे’

1971 ‘बाल महाभारत’

1971 ‘भारत पुत्र नौरंगी लाल’

अनुवाद

1935 ‘बिसाती’ (मोपासाँ की कहानियाँ)

1937 ‘प्रेम की प्यास’ (गुस्ताव फूलाबेर कृत ‘मदाम बोवारी’ का संक्षिप्त भावानुवाद)

1939 ‘काला पुरोहित’ (एटन चेखब की कहानियाँ)

1948 ‘आँखों देखा गदर’ (विष्णुभट्ट गोडसे कृत ‘माझा प्रवास’)

1955 ‘दो फक्कड़’ (कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के तीन गुजराती नाटक)

1956 ‘सारस्वत’ (मामा वरेरकर का मराठी नाटक)

भेंटवार्ता एवं संस्मरण

1957 ‘गदर के फूल’

1961 ‘ये कोठेवालियाँ’

1973 ‘जिनके साथ जिया’

ऐसे महान साहित्य साधक की जयंती पर उन्हें सादर नमन।

आज हिंदी साहित्याकाश के अमर नक्षत्र अमृतलाल नागर की ९७ वीं जयंती है। उनका जन्म १ अगस्त सन १९१६ को आगरा के गोकुलपुरा नामक मोहल्ले में हुआ था। उनके पूर्वज गुजरात से ए थे और कालांतर में लखनऊ में आकर बस गए थे। किस्सागोई में उनका ज़वाब नहीं है, ये बात उनकी कृतियों से स्पष्ट हो जाती है। ‘बूँद और समुद्र’ तथा ‘अमृत और विष’ जैसे वर्तमान जीवन पर लिखित उपन्यासों में ही नहीं, ‘एकदा नैमिषारण्ये’ तथा ‘मानस का हंस’ जैसे पौराणिक-ऐतिहासिक पीठिका पर रचित सांस्कृतिक उपन्यासों में भी उनकी यही खूबी देखी जा सकती है।  उत्पीड़कों का पर्दाफ़ाश करने और उत्पीड़ितों का साथ देने का अपना व्रत उन्होंने बखूबी निभाया है। अतीत को वर्तमान से जोड़ने और प्रेरणा के स्रोत के रूप में प्रस्तुत करने के संकल्प के कारण ही ‘एकदा नैमिषारण्ये’ में पुराणकारों के कथा-सूत्र को भारत की एकात्मकता के लिए किये गये महान सांस्कृतिक प्रयास के रूप में, तथा ‘मानस का हंस’ में तुलसी की जीवन कथा को आसक्तियों और प्रलोभनों के संघातों के कारण डगमगा कर अडिग हो जाने वाली ‘आस्था के संघर्ष की कथा’ एवं उत्पीड़ित लोकजीवन को संजीवनी प्रदान करने वाली ‘भक्तिधारा के प्रवाह की कथा’ के रूप में किस्सागोई को  बड़े ही प्रभावशाली ढंग से अंकित किया है। कहानी, उपन्यास, बाल साहित्य, भेंट वार्ता, रेखाचित्र, संस्मरण, निबन्ध अदि विधाओं में लिखकर उन्होंने  छाप छोड़ी। उन्होंने अनेक मराठी, गुजराती एवं रूसी कृतियों के हिंदी में अनुवाद कर भाषाई सेतुबंधन में भी अहम् भूमिका निभाई। अमृतलाल नागर जी का निधन सन् 23 फ़रवरी, 1990 ई. को हुआ। उनकी रचनाएं निम्नवत हैं —-
कहानी संग्रह
1935 ‘वाटिका’
1938 ‘अवशेष’
1939 ‘नवाबी मसनद’
1941 ‘तुलाराम शास्त्री’
1947 ‘आदमी नहीं, नहीं’
1948 ‘पाँचवाँ दस्ता’
1955 ‘एक दिन हज़ार दास्ताँ’
1956 ‘एटम बम’
1963 ‘पीपल की परी’
1973 ‘कालदंड की चोरी’
1970 ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’
1970 ‘पाँचवाँ दस्ता और सात अन्य कहानियाँ’
उपन्यास
1943 ‘महाकाल’
1947 प्रकाशन
1944 ‘सेठ बाँकेमल’
1956 ‘बूँद और समुद्र’
1959 ‘शतरंज के मोहरे’
1960 ‘सुहाग के नूपुर’
1966 ‘अमृत और विष’
1968 ‘सात घूँघटवाला मुखड़ा’
1971 ‘एकदा नैमिषारण्ये’
1972 ‘मानस का हंस’
बाल साहित्य
1947 ‘नटखट चाची’
1950 ‘निंदिया आजा’
1969 ‘बजरंगी नौरंगी’
1969 ‘बजरंगी पहलवान’
1970 ‘इतिहास झरोखे’
1971 ‘बाल महाभारत’
1971 ‘भारत पुत्र नौरंगी लाल’
अनुवाद
1935 ‘बिसाती’ (मोपासाँ की कहानियाँ)
1937 ‘प्रेम की प्यास’ (गुस्ताव फूलाबेर कृत ‘मदाम बोवारी’ का संक्षिप्त भावानुवाद)
1939 ‘काला पुरोहित’ (एटन चेखब की कहानियाँ)
1948 ‘आँखों देखा गदर’ (विष्णुभट्ट गोडसे कृत ‘माझा प्रवास’)
1955 ‘दो फक्कड़’ (कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के तीन गुजराती नाटक)
1956 ‘सारस्वत’ (मामा वरेरकर का मराठी नाटक)
भेंटवार्ता एवं संस्मरण
1957 ‘गदर के फूल’
1961 ‘ये कोठेवालियाँ’
1973 ‘जिनके साथ जिया’
ऐसे महान साहित्य साधक की जयंती पर उन्हें सादर नमन।

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