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मित्रों, आज बात करते हैं फिल्म इन्कार की, जिसे सुधीर मिश्र ने निर्देशित किया है और वायाकोम 18 ने प्रोड्यूस किया है। फिल्म की कहानी एड वर्ल्ड के सेक्सुअल हरासमेंट पर आधारित है और ईमानदारी से कहना कहूँगा कि अर्जुन रामपाल ने शायद पहली बार अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। चित्रांगदा सिंह और विपिन शर्मा भी अपने सहज स्वाभाविक अभिनय से प्रभावित करते हैं बाकी दीप्ति नवल, गौरव द्विवेदी, रेहाना सुल्तान, आशीष कपूर, आकांक्षा नेहरा आदि सामान्य रहे हैं। फिल्म ‘ए’ प्रमाणपत्र के साथ प्रदर्शित हुई है और जाहिर है कि यह सिर्फ वयस्कों के लिए ही है। फिल्म का विषय भी मेट्रो दर्शकों को ही अपील करेगा लेकिन फिर भी सुधीर की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि वे दामिनी कांड के बाद एक बेहद ज़रूरी और प्रासंगिक विषय को लेकर सामने आये हैं जिसका स्वाभाविक रूप से एड वर्ल्ड ने विरोध किया क्योंकि उनके घर की गंदगी अब इस फिल्म के माध्यम से जगजाहिर हो गयी है। यह फिल्म ग्लैमर जगत की ऊँचाइयों को हासिल करने के लिए परदे के पीछे चल रहे खेल, षड्यंत्रों तथा राजनीतिक कलाबाजियों की बेहतरीन मिसाल पेश करती है लेकिन फिल्म का अंत आते आते सुधीर का निर्देशन डगमगाता प्रतीत होने लगता है और वे उसी यौन नैतिकता का पाठ उस माया लूथरा (नायिका) के माध्यम से पढ़वाने लगते हैं जो पद की लालसा में सभी मर्यादाएं लाँघ चुकी है, इसके बाद राहुल वर्मा (नायक) का माया लूथरा के साथ नौकरी समेत भरी भरकम वेतन वाली नौकरी का त्याग कर लेने के बाद उसी सहारनपुर की ओर चल पड़ना अस्वाभाविक सा लगता है, जिसकी कभी उन्होंने ही हंसी उड़ाई थी। कुल मिलाकर यदि अंत को आदर्शवादी बनाने की जगह यथार्थपरक बनाने पर ध्यान दिया जाता तो यह एक अत्यंत सशक्त फिल्म साबित हो सकती थी। मैं इसे 5 में से 2.5 स्टार देना पसंद करूँगा।
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