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उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव जी ने कल लखनऊ के गाँधी भवन प्रेक्षागृह में आयोजित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सम्मलेन में सपा कार्यकर्ता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का जो वादा किया है, वह घोर आश्चर्यजनक, आपत्तिजनक और निंदनीय है। ऐसा कहकर वे शायद यह साबित करना चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी की सदस्यता नौकरी हेतु सबसे ज़रूरी योग्यता से भी बढ़कर है। ऐसा कहकर उन्होंने प्रदेश के उन करोड़ों युवाओं का अपमान किया है, जो राजनीति से दूर रहकर पढने लिखने में अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करते हैं। उनका यह बयान मेरिट पर पार्टी के प्रति निष्ठा की विजय की दुन्दुभि बजाने सरीखा है। इस आश्वासन से वे उस आम जनता को उसके वास्तविक हक़ से करने की दुरभिसंधि कर रहे हैं, जो मेरिट से अपने बच्चों को कुछ करने की देती आयी है। अब तो यह ऐसा ही हुआ कि एक पार्टी नकद रूपए बाँट रही है, एक साड़ी बांटकर हाथ जला चुकी है तो आप अब इस प्रकार की रिश्वत देकर कार्यकर्ता खरीदेंगे, जो सन 2014 में आपकी नैया पार लगा सकें। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो यह राजनैतिक बेईमानी के सिवा और कुछ नहीं है। न तो कोंग्रेस को नकद पैसा बांटने से ‘गेम चेंजर’ का तमगा हासिल होने वाला है और न ही आपको नौकरी का झांसा देने से कार्यकर्ता मिलने वाले हैं। चुनाव आयोग को ऐसे बयानों पर संज्ञान लेना चाहिए और इन कृत्यों को रोकने का प्रयास करना चाहिए ताकि लोग दिग्भ्रमित न हो सकें।
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