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पत्रकारिता पर लग रहे हैं सवालिया निशान !

http://puneetbisaria.wordpress.com/
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प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने जी न्यूज़ चैनल के दो संपादकों द्वारा न्यूज़ छिपाने की एवज में १०० करोड़ रुपयों के विज्ञापनों की मांग जिंदल ग्रुप से किये जाने को गंभीरतापूर्वक लिया है और दोनों संपादकों की गिरफ्तारी के बाद जी न्यूज़ का लाइसेंस निरस्त करने की जो सिफारिश की है, वह वास्तव में सराहनीय है क्योंकि  पीत पत्रकारिता का जो निकृष्टतम प्रतिमान इन्होने स्थापित किया है, उसके लिए यह सज़ा भी नाकाफी है. फिर एक बात और कि ये दो कर्मचारी तो किसी न किसी के इशारे पर ही उस स्टिंग ऑपरेशन में गए होंगे जिसमें  ये बेचारे फंस गए और ये इशारे करने वाला और कोई नहीं इस समूह का मुखिया ही रहा होगा, इसलिए उस पर भी मुकदमा चलाकर उसे भी सज़ा सुनिश्चित करनी होगी ताकि भविष्य में कोई और चैनल इस तरह की गुस्ताखी न कर सके और पत्रकारिता की गरिमा बची रह सके. काटजू साहब को भी पत्रकारों पर नकेल कसने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे क्योंकि मैंने खुद अनुभव किया है कि चाँद छुटभैये पत्रकार भी अफसरों के पास जाकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं और अक्सर ठेके हथिया लेते हैं या फिर अनैतिक कमाई के लिए समर्थन हासिल करने का प्रयास करते हैं. औद्योगिक घराने बन चुके  तथाकथित पत्रकार रुपी धन्ना सेठ क्या करते होंगे, इसकी तो बस कल्पना ही की जा सकती है.

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