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१८ फ़रवरी २००९ को मार्टिन लूथर किंग जूनियर भारत के भारत आगमन की ५० वीं वर्षगाँठ के अवसर पर उनके सुपुत्र मार्टिन लूथर किंग तृतीय भारत आये थे. इस अवसर पर उन्होंने गाँधी जी और अपने पिता का स्मरण करते हुए कहा था, “बीसवीं शताब्दी मानवता के इतिहास की सर्वाधिक रक्तरंजित शताब्दी थी, जिसमें लगभग १० करोड़ लोगों की युद्धों में जानें गईं. ” उन्होंने इराक युद्ध, अफगानिस्तान के हालात, दारफुर में जरी नरसंहार, इस्रायल और फिलिस्तीन में जारी संघर्ष, म्यांमार में हो रहे दमन तथा मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की चर्चा करते हुए कहा,” २० वीं शताब्दी केवल हिंसक घटनाओं के लिए याद नहीं की जायेगी बल्कि इसे गाँधी जी तथा मेरे पिता मार्टिन लूथर किंग जूनियर के लिए भी याद किया जाएगा, जिन्होंने सत्य तथा न्याय की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.”
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