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अब क्या ग्लेमराइज़ होंगी साहित्यिक कृतियाँ

http://puneetbisaria.wordpress.com/
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टाइम्स ऑफ इण्डिया में एक बेहद रोचक किन्तु चिंताजनक साहित्यिक समाचार पर तर्क वितर्क हुआ है। एक ब्रिटिश पब्लिशिंग कंपनी ने जेन आस्टिन की प्राइड अँड प्रेजूडिस तथा कॉनन डोयल की शेरलोक होम्स पर आधारित पुस्तकों के पाठ को आज के दौर के मुताबिक ग्लेमराइज़ करके सेक्सी स्वरूप में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्राइड अँड प्रेजूडिस की नायिका एलिज़ाबेथ बेनेट डोर्सी को हॉट एंड स्पाइसी समझती है और शेरलोक होम्स का डॉ वाटसन पुरुषों के साथ रहने के आनंद को शेयर करता है। कंपनी की प्रबंध निदेशक क्लेयर सीमेज़ोकीविक्ज़ कहती हैं कि उन्हें हमेशा से ऐसा लगता था कि पुराने उपन्यासों में सेक्सुयलिटी को छुपाने का प्रयास किया गया है और वे ऐसे छुपे हुए भावों को सामने लाने का प्रयास कर रही हैं। पूरी दुनिया के शुद्धतावादी इस पर गहरी चिंता का इज़हार कर रहे हैं। साहित्यिक कृतियों मे काम भावना प्रत्यक्ष आता अप्रत्यक्ष रूप में उपस्थित रहती ही है। यदि यह प्रयास हिन्दी की कालजयी कृतियों में भी शुरू कर दिया गया तो कोई भी साहित्यिक कृति अश्लीलता से मुक्त नहीं रह पाएगी। आपकी क्या प्रतिक्रिया है।

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